बनाया गया था राजा परमार्थी देव के द्वारा 13th सेंचुरी में उसके बाद यह पास डाउन हुआ राजा मानसिंह को और शाहजहां ने
एक्चुअली में ताजमहल को खरीदा उनके पोते
राजा जयसिंह से ऐसे ही एक और पॉपुलर
थ्योरी ताजमहल के बारे में बताई जाती है
कि एक्चुअली में शाहजहां ने 20000 लेबरर्स
के हाथ कटवा दिए थे ताजमहल बनाने के बाद
ताकि वो जो वर्कर्स हैं जिन्होंने ताजमहल
को बनाया वह कोई भी ऐसा इतना सुंदर
मॉन्यूमेंट ना बना पर अब एक थ्योरी के
अनुसार तेजो महालय बना था 13 सेंचुरी में
दूसरी के अनुसार शाहजहां ने अपने वर्कर्स
के हाथ कटवाए थे 17 सेंचुरी में 450 साल
बाद तो ऐसा तो हो नहीं सकता कि ये दोनों
चीजें सच हो इसलिए आज के वीडियो में आइए
सच जानने की कोशिश करते हैं दोस्तों क्या
है इतिहास ताजमहल का इन अलग-अलग थ्योरी
में कितनी सच्चाई है और क्या छिपा है
ताजमहल के उन बंद 22 दरवाजों के पीछे
दुनिया का सातवां अजूबा प्यार की निशानी
कहा जाता है कि इतिहास तत्वों पर आधारित
होता है ना कि भावनाओं पर कैसा इतिहास
कहां का इतिहास कौन सा इतिहास याचिकाकर्ता
की मांग है कि ताज महल में मौजूद 20 बंद
कमरों को खोला जाए एंड द जाद हैव स्लम द
ताजमहल :-
पेटीशनर दोस्तों ताजमहल की असली और
एक्चुअल हिस्ट्री समझते हैं पहले शाहजहां
और मुमताज क्या थे इनके असली नाम शाहजहां
का जन्म हुआ था 5थ जनवरी 1592 को इनका
असली नाम था खुर्रम शाहजहां जो रॉयल नाम
था इनका यह बाद में ही दिया गया इन्हें
इसका मतलब होता है किंग ऑफ द वर्ल्ड
शाहजहां इनके फादर थे जहांगीर और इनकी मदर
थी जगत गोसेन जो कि जहांगीर की चीफ क्वीन
थी दूसरी तरफ मुमताज महल का जन्म हुआ था
साल 1593 में मुमताज महल भी जो नाम था वो
एक्चुअली में इनकी शादी के बाद ही दिया
गया था इन्हें इनका असली नाम था अर्जुन
बानू बेगम तो खुर्रम और मुमताज की
इंगेजमेंट हुई थी साल 1607 में और फाइनली
शादी हुई साल 1612 में शाहजहां की और भी
बीवियां थी जैसे कि कंहा महल और अकबराबादी
महल लेकिन कोर्ट हिस्टोरियंस के अकॉर्डिंग
एक्चुअली में ये जो मैरिजस थी ये पॉलिटिकल
एलायंसेज के तौर पर हुई थी बहुत से
अलग-अलग हिस्टोरिकल अकाउंट्स हमें बताते
हैं कि शाहजहां की जो रिलेशनशिप थी बाकी
और बीवियों के साथ वो सिर्फ एक कहने के
लिए मैरिज थी पॉलिटिकल एलायंसेज बनाए रखने
के लिए शादियां करी गई थी एक्चुअली में
शाहजहां के अंदर जो डीप अफेक्शन थी जो
उनके अंदर प्यार था वो मुमताज के लिए कहीं
ज्यादा था उनकी और बीवियों के कंपैरिजन
में यही रीजन था कि उन्हें और फेवर्स दिए
गए जैसे कि मलिका ए जहां यानी क्वीन ऑफ द
वर्ल्ड उनका जो पैलेस था खास महल कहा जाता
है कि उसे प्योर गोल्ड और प्रेशियस स्टोन
से डेकोरेट किया जाता था हिस्टोरिकल
रिकॉर्ड्स के अकॉर्डिंग मुमताज का काफी
इंटरेस्ट था एडमिनिस्ट्रेशन में भी तो
शाहजहां जहां भी जाते थे डिप्लोमेटिक
नेगोशिएशंस के लिए या कभी लड़ाई के लिए
मुमताज हमेशा उनके साथ जाती थी एक तरफ
जहां शाहजहां का एगजैक्टली एक बच्चा हुआ
उनकी बाकी सारी बीवियों के साथ मुमताज महल
के साथ उनके 14 बच्चे हुए आधे बच्चे तो
चाइल्ड बर्थ के दौरान ही मारे गए ये चीज
आम बात होती थी उन जमानो में हेल्थ केयर
सिस्टम इतना अच्छा नहीं होता था
अनफॉर्चूनेटली मुमताज की डेथ हो गई जब वो
अपने ने 14वें बच्चे को जन्म देने लग रही
थी ये बात है एगजैक्टली 17 जून 1631 की
कहा जाता है कि एक्चुअली में कॉज ऑफ डेथ
थी पोस्टपार्टम हेमरेज लॉस ऑफ ब्लड उनकी
डेथ के बाद शाहजहां एक्चुअली में भारी गम
में डूब गए वो पैरालाइज हो गए अपनी ग्रीप
से कई दिनों तक हफ्तों तक रोते रहे और कहा
जाता है कि एक साल तक वो आइसोलेशन में चले
गए थे मॉर्निंग करने के लिए जब वो वापस आए
उनके बाल सफेद हो चुके थे उनकी कमर झुक
चुकी थी और उनके चेहरे पर थकान दिखती थी
इस्लामिक थियोलॉजी में माना जाता है कि
मृत्यु के बाद जो बॉडी होती है वो मिट्टी
में मिल जाती है लेकिन जो आत्मा होती है
वो ग्रेव में रहती है आत्मा बाद में
जजमेंट डे के पास जाती है जब डिसाइड होता
है कि वो स्वर्ग में जाएगी या नरक में
जाएगी तो जो ग्रेव होता है उसे फाइनल
रेस्टिंग प्लेस माना जाता है एक आत्मा की
सोल की शाहजहां का ये मानना था कि मुमताज
की आत्मा की जो फाइनल रेस्टिंग प्लेस होगी
वो बहुत ही ग्रैंड होनी चाहिए लाजवाब होनी
चाहिए जब उन्होंने ताजमहल बनाने का फैसला
किया तो चीफ आर्किटेक्ट उस्ताद अहमद लहर
उन्हें टाइटल दिया गया नादिर असर का द
वंडर ऑफ द एज जो वाइट मार्बल पैनल्स पे
कैलीग्राफी करी गई है वो करी गई है अब्दुल
हक शिराजी के द्वारा हजार से ज्यादा
हाथियों का इस्तेमाल किया गया था बिल्डिंग
मटेरियल को ट्रांसपोर्ट करने के लिए वाइट
मार्बल को राजस्थान से लाया गया जैस्पर को
पंजाब से जेड और क्रिस्टल को चाइना से
टर्कॉइज को तिबेट से सफायर को श्रीलंका से
और कार्नेलियन को अरेबिया से ताजमहल के
अंदर जो इतनी अलग-अलग चीजें हैं
मैटेरियल्स हैं दुनिया के कोनों कोनों से
आए हैं टोटल में ताजमहल को बनाने में 22
साल का समय लगा इसकी कंस्ट्रक्शन और
डेकोरेशन में एप्रोक्सीमेटली 22000
मजदूरों ने इस पर हर दिन काम किया इन 22
सालों तक दोस्तों वैसे तो ताजमहल की
कंट्रोवर्सीज का इतिहास काफी लंबा रहा है
लेकिन अपनी कहानी की शुरुआत करते हैं सबसे
रिसेंट कंट्रोवर्सी से हाल ही में ये तब
शुरू हुई जब खबर में आया कि बीजेपी
पॉलिटिशियन राजनीश सिंह ने अलाहाबाद हाई
कोर्ट में पेटीशन फाइल करी कि ताजमहल के
22 बंद कमरों को खुलवा दिया जाए ये चाहते
थे कि एएसआई यानी आर्कलॉजिकल स ऑफ इंडिया
एक स्पेशल कमेटी बनाए जो इन 22 बंद कमरों
के पीछे झांक कर देखेगी और ढूंढने की
कोशिश करेगी कि कहीं ना कहीं कोई हिंदू
भगवानों की मूर्तियां तो नहीं है यहां पर
इस पेटीशन में कहा गया कि ऐसे
क्लेम्म हल एक्चुअली में एक शिव मंदिर है
तेजो महालय नाम से और कोर्ट का ये फर्ज
बनता है कि इन बंद कमरों को खुलवा दिया
जाए अंडर फ्रीडम ऑफ इंफॉर्मेशन लेकिन
कोर्ट ने इस पेटीशन को डिस्मिस कर दिया
जजेस के बेंच ने कहा कि इस तरीके की
पेटीशन फाइल करके पीआईएल सिस्टम का मजाक
बना बनाया जा रहा है कोर्ट ने सवाल उठाया
कि किस बेसिस पर पेटीशन फाइल करी गई है
क्या यहां पर कोई लीगल या कॉन्स्टिट्यूशन
राइट्स को इंफ्रिंज किया जा रहा है अगर
नहीं तो क्यों पेटीशन फाइल करी हिस्टोरिकल
रिसर्च करना हिस्टोरियंस का काम है और
उसके लिए प्रॉपर मेथोडोलोग्य
में रूम्स नहीं है बल्कि एक लंबा सा
कॉरिडोर है जिस पर दरवाजे लगाए गए हैं और
ये बंद दरवाजे कोई ऐसे बंद दरवाजे नहीं है
कि इन्हें सदियों से कभी भी ना खोला गया
हो एएसआई के स्टाफ इनके अकॉर्डिंग ताजमहल
के इन कमरों को हर हफ्ते जाकर या दो हफ्ते
में एक बार जाकर इनकी सफाई करता रहता है
एक रिटायर्ड एएसआई ऑफिशियल ने बताया कि
यहां दीवारों पर कुछ भी नहीं है और
बेसमेंट में ऐसे कमरे बने रहना कोई
अनयूजुअल चीज नहीं है मुगल मॉन्यूमेंट्स
के लिए जो हुमायू टूम है दिल्ली में और जो
सफदरजंग टूम है वहां पर भी ऐसे ही
अंडरग्राउंड बेसमेंट में कमरे हैं जो एक
तरह का कॉरिडोर बना रहे हैं और यह
स्ट्रक्चरल एलिमेंट के तौर पर काम कर रहे
हैं जिसके ऊपर पूरा यह ढांचा टिका हुआ है
एक और रिटायर्ड एएसआई ऑफिशियल ने बताया कि
एक्चुअली में ये जो एरिया है ये इसलिए बंद
किया गया है क्योंकि टूरिस्ट के लिए कुछ
है ही नहीं वहां पर देखने के लिए
अननेसेसरीली उन्हें खोलकर रखा जाएगा तो
ज्यादा भीड़ आ जाएगी और मॉन्यूमेंट को
प्रिजर्व रखने के लिए उन एरियाज को लॉक
करके रखा गया है ताजमहल आखिर में एक
प्रोटेक्टेड वर्ल्ड हेरिटेज साइट है जहां
पर हर रोज 1 लाख से ज्यादा लोग आते हैं तो
कांस्टेंटली इतने ज्यादा लोगों के आने
जाने से वेयर एंड टेयर ना हो मॉन्यूमेंट
प्रोटेक्टेड रहे अब पेटीशन के डिस्मिस
होने के बाद भी एएसआई ऑफिशल्स का इतना सब
कहने के बाद भी ये डिबेट बंद नहीं हुई कुछ
मीडिया वालों ने सोशल मीडिया पर कुछ लोगों
ने इस डिबेट को जबरदस्ती जारी रखा ऑलमोस्ट
ऐसा लग रहा था कि मानो किसी को फायदा
पहुंच रहा हो ऐसी चीजों पर चर्चा करके तो
हुआ क्या तीन से चार दिन बाद आर्कलॉजिकल
सर्वे ऑफ इंडिया ने इस पूरी डिबेट को
हमेशा के लिए खत्म करने के लिए उन्होंने
पिक्चर्स ही रिलीज कर दी इन बंद कमरों के
अंदर की फोटोस पब्लिकली दिखा दी सबको यह
देख लो इनमें रीस्टोरेशन वर्क चलने लग रहा
है और इन कमरों के अंदर का नजारा कुछ ऐसा
दिखता है आगरा के एएसआई चीफ आर के पटेल ने
इंडिया टुडे को बताया कि ये पिक्चर्स अब
एएसआई की वेबसाइट पर लाइव आपको मिल जाएंगी
ये उनके न्यूज़लेटर का हिस्सा थी और कोई
भी इन पिक्चर्स को देख सकता है उनकी
वेबसाइट पर जाकर इन फोटोज में एक चीज जरूर
ध्यान देने वाली है कि एएसआई का स्टाफ
कितनी मेहनत से काम करने लग रहा है हमारे
मॉन्यूमेंट्स को कंजर्व करने में यहां पर
आप बिफोर एंड आफ्टर पिक्चर्स देख सकते हैं
इनके रिस्टो मेशन वर्क से पहले और बाद में
ये सिर्फ इन्हीं लोगों की वजह से है कि
हमारे हिस्टोरिकल जेम्स इस तरीके से
प्रिजर्व रह पाते हैं अब ये पहली बार नहीं
है दोस्तों कि ऐसा कोई क्लेम किया गया हो
इससे पहले भी ऐसी कई सिमिलर पेटिश फाइल
करी जा चुकी हैं जैसे कि अप्रैल 2015 में
आगरा कोर्ट में एक सिमिलर सूट फाइल किया
गया था छह लॉयर्स के द्वारा जो क्लेम करते
थे कि ताजमहल एक्चुअली में एक शिव मंदिर
है उन्होंने कोर्ट से परमिशन मांगी कि
हिंदुओं को वहां पर वरशिप करने की आजादी
दी जाए अपनी प्ली में लॉयर हरिशंकर जैन और
उनके कलीग्स ने कहा कि एक्चुअली में राजा
परमाद देव ने तेजो महालय मंदिर बनाया था
साल 1212 में ये मंदिर बाद में
इन्हेरिटेंस
में इसके बाद में इस प्रॉपर्टी को होल्ड
किया गया था राजा जयसिंह के द्वारा और तब
शाहजहां ने 1632 में इसे एनेक्स कर लिया
था और मुमताज महल की डेथ के बाद शाहजहां
की वाइफ की डेथ के बाद इस मंदिर को
कन्वर्ट कर दिया गया था एक मेमोरियल में
मुमताज के लिए कोर्ट ने एक्चुअली में इस
वक्त सेंट्रल गवर्नमेंट यूनियन मिनिस्ट्री
ऑफ कल्चर होम सेक्रेटरी और एएसआई को कहा
कि वो इस क्लेम को लेकर अपने रिप्लाई
सबमिट करें अब सरकार ने अपने रिप्लाई में
इस पॉसिबिलिटी को डिनायर दिया नवंबर 2015
में यूनियन कल्चरल मिनिस्टर महेश शर्मा ने
लोकसभा में बताया सरकार को आज तक कोई
एविडेंस नहीं मिला इस चीज का कि ताजमहल एक
हिंदू टेंपल था एएसआई का भी यही कहना था
2017 में आर्कलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने
कहा था ताजमहल एक टूम है ना कि कोई टेंपल
वैसे ये चीज काफी डिफरेंट है ज्ञानवापी
मस्जिद वाली कंट्रोवर्सी से क्योंकि वहां
पर एक्चुअली में प्रूफ एजिस्ट करता है कि
वहां पर एक मंदिर था लेकिन उस कंट्रोवर्सी
कभी और किसी वीडियो में डिस्कस कर लेंगे
लेकिन इस वीडियो में ताजमहल पर फोकस रखते
हैं और इन्होंने राजा जयसिंह वाली कहानी
को भी क्लेरिफाई करके यह कहा कि जमीन उनसे
छीनी नहीं गई थी बल्कि उनसे ली गई थी
एक्सचेंज में इसके पीछे की हिस्ट्री बड़ी
इंटरेस्टिंग है दोस्तों 2017 में
हिस्टोरियन राना सफी ने एक ब्लॉग लिखा था
डेलीओ प्लेटफार्म पर ये इंडिया टूडे ग्रुप
का एक ब्लॉगिंग प्लेटफार्म है इसमें
इन्होंने बताया कि मुगलों को एक्चुअली में
काफी शौक था हिस्ट्री का एक रिकॉर्ड रखने
का कई मुगल महाराजा तो खुद ही अपनी ऑटो
बायोग्राफीज लिखते थे अपनी डायरीज लिखते
थे जैसे कि जहांगीर ने जहांगीर नामा लिखी
थी इसके अलावा वो ऑफिशियल हिस्ट्री को
कोर्ट हिस्टोरियंस के द्वारा भी लिखवा थे
फॉर एग्जांपल अकबर के टाइम में अबुल फाजिल
ने हिस्ट्री का रिकॉर्ड रखा था इसके अलावा
तीसरा और हिस्ट्री के अकाउंट्स होते थे जो
और लोगों ने लिखे होते थे जो उस समय में
रह रहे होते थे इन्हें कंटेंपररी अकाउंट्स
कहा जा सकता है इन कंटेंपररी टेक्स्ट को
डब्ल्यू ए बेगली और जेड ए देसाई ने अपनी
किताब ताजमहल एंड इलुमिनाटी टूम में
कंपाइल किया था उस जमाने के इन अलग-अलग
सोर्सेस को अगर कंपाइल करके साथ में देखा
जाए तो हमें ताजमहल की हिस्ट्री के बारे
में बहुत डिटेल में पता चलता है ताजमहल
एक्चुअली में कैसे बना था क्या होता था उस
जमाने में इन सबको बहुत ही अच्छी तरीके से
डॉक्यूमेंट किया गया है राजा जयसिंह के
एक्चुअली में काफी फ्रेंडली रिलेशंस थे
शाहजहां से हमें पता चलता है कि राजा
जयसिंह एक्चुअली में उसी जगह पर रहते थे
जहां पर ताज महल बना था उस जगह को एक
हवेली एक खाना एक मंजिल करके रेफर किया
जाता है अलग-अलग सोर्सेस के द्वारा
अलग-अलग शब्द इस्तेमाल किए जाते हैं
अलग-अलग सोर्सेस के द्वारा लेकिन इन सारे
शब्दों का मतलब एक घर ही होता है छोटा हो
या बड़ा हो घर था वहां पर राजा जयसिंह का
राजा जयसिंह एक्चुअली में अपनी जमीन को
फ्री में डोनेट करना चाहते थे रानी की टूम
बनाने के लिए हिस्टोरियन ईरा मुख तोय हमें
बताती हैं कि इसके पीछे रीजन है कि जयपुर
के जो रॉयल्स थे वो मुगलों के काफी करीब आ
गए थे जब से अकबर ने शादी करी थी अंबेर की
हरखा बाई के साथ बॉलीवुड की फिल्मों को
देखकर हमें लगता है कि अकबर की बीवी का
नाम था जोदा बाई जैसा जोधा अकबर पिक्चर
में दिखाया गया था पिक्चर अच्छी थी लेकिन
इस मामले में हिस्टोरिकल इन्यूट थी असल
में जोधाबाई का मतलब होता है जो जोधपुर की
लेडी और एक्चुअली में जहांगीर थे
जिन्होंने जोधपुर के रूलर राजा उदय सिंह
की बेटी से शादी करी थी उनकी बेटी का नाम
था जगत गोसेन और ये शाहजहां की मम्मी थी
अब हुआ क्या था कि उस जमाने के एक ब्रिटिश
ईस्ट इंडिया कंपनी के ऑफिसर थे लेफ्टिनेंट
कर्नल जेम्स टॉड जिन्होंने अपनी एक किताब
लिखी थी एनल्स एंड एंटीक्विटीज ऑफ
राजस्थान उस किताब में उन्होंने गलती से
मेंशन कर दिया था जोधाबाई को हरका बाई की
जगह पर इसलिए तब से लोगों को लगने लगा कि
एक्चुअली में जोधाबाई अकबर की बीवी थ थी
लेकिन अकबर की बीवी हरखा भाई थी और वो बुआ
हुई राजा मान सिंह की और राजा मान सिंह
ट्रस्टेड जनरल अकबर के अब अकबर के पोते थे
शाहजहां और राजा मानसिंह के पोते थे राजा
जयसिंह तो आप समझ ही सकते हो कि इन दोनों
के इतने क्लोज रिलेशंस क्यों थे राजा
जयसिंह और शाहजहां के यही रीजन था कि राजा
जयसिंह ने अपनी जमीन को फ्री में ऑफर किया
था कि वो डोनेट कर देंगे शाहजहां को शाहजा
अपना टूम बना सकते हैं अपनी मुमताज के लिए
लेकिन उनके ऑफर के बावजूद भी शाहजहां ने
ये जमीन फ्री में एक्सेप्ट नहीं करी
शाहजहां ने राजा जयसिंह को रिटर्न में
एक्सचेंज में चार हवेलियां दी एगजैक्टली
यह जो ट्रांजैक्शन था इसे ऑफिशियल पेपर्स
में रिकॉर्ड भी किया गया है और उस पर डेट
लिखी गई है जब हुआ था 28 दिसंबर 1633 को
यह फरमान आज के दिन आपको मिल जाएगा जयपुर
के सिटी पैलेस म्यूजियम में हिस्टोरियन
राणा सवी ने इसकी एक कॉपी भी अपलोड करी थी
के द्वारा तेजो महालय हुआ करता था एक शिव
मंदिर इसका तो बिल्कुल ही कोई एविडेंस
नहीं है कहीं से तो लेकिन यह आया होगा ये
जो कि आज के दिन हर कहीं सुनने को मिल रहा
है इसका जवाब है दोस्तों एक इंसान का नाम
पुरुषोत्तम नागेश ओक शॉर्ट में कहा जाए तो
पीएन ओक ये वो इंसान थे जिन्होंने पहली
बार इस तेजो महालय के क्लेम को उठाया और
इंटरेस्टिंग यह कोई हिस्टोरियन नहीं थे
इन्हें हिस्ट्री बहुत पसंद थी हिस्ट्री
लिखनी भी बहुत पसंद थी लेकिन ये
हिस्टोरियन नहीं थे क्योंकि अपनी मन मर्जी
से हिस्ट्री लिखते थे रिराइज करते थे
हिस्ट्री को दोस्तों आमतौर पर एक
हिस्टोरियन की मेथोडोलोग्य
होती है एक हिस्टोरियन को पुराने अखबारों
से पुरानी मैगजीन से पुरानी डायरी एंट्रीज
से लेटर्स से चिट्ठियों से पेंटिंग से
कोर्ट हिस्टोरियंस के हिस्टोरिकल अकाउंट
से कंटेंपररी हिस्टोरियंस के अकाउंट से
ट्रैवलर्स ने क्या लिखा था कार्बन डेटिंग
देखकर ये सब देखकर अंदाजा लगाना पड़ता है
समझना पड़ता है कि एक्चुअली में क्या हुआ
था उस जमाने में समझने के बाद उन्हें अपने
शब्दों में इसे लिखना पड़ता है एक अकाउंट
क्रिएट करना पड़ता है अलग-अलग सोर्सेस को
साइट करके उसके बाद उनकी राइटिंग को पियर
रिव्यू किया जाता है बाकी और हिस्टोरियंस
के द्वारा यह चेक करने के लिए कि कितना
एक्यूरेट है किसी एक हिस्टोरियन के द्वारा
लिखा गया अकाउंट लेकिन पीएन ओक की मेथड
जीी इससे बहुत अलग थी उनकी मेथेडोने
में संस्कृत के शब्द वाटिका से काफी
सिमिलर लग रहा है तो हो सकता है कि वैटिकन
सिटी एक टाइम पर कोई हिंदू टेंपल होगी हो
क्या सकता है एक्चुअली में मैं लिख डालता
हूं यही हुआ था वेस्ट मिनिस्टर एबी भी एक
हिंदू टेंपल था ये मैं मजाक नहीं कर रहा
हूं दोस्तों पीएन ओक ने एक्चुअली में यही
सब चीजें लिखी थी अपनी पेंफलेट्स में अगर
ये चीजें सुनने में थोड़ी अजीबोगरीब लग
रही है इससे भी ज्यादा अजीबोगरीब चीजें
लिखी थी उन्होंने उन्होंने एक पैंफलेट
लिखा था क्रिश्चियनिटी के ऊपर उन्होंने
कहा था क्रिश्चियनिटी एक्चुअली में क्रष्ण
नीति है उनके हिसाब से जीसस एक्चुअली में
इंडिया में आए थे जब वह 13 से 30 साल की
उम्र के बीच में थे और वो क्रिश्चन नीति
सीख कर गए थे तो जो पूरा क्रिश्चियनिटी
धर्म है वो हिंदुइज्म से इंस्पायर्ड है
इतना ही नहीं उन्होंने यह भी कहा था कि इस
इलाम और जूड इजम धर्म भी हिंदुइज्म से ही
निकल कर आए हैं आप पूछोगे कैसे उन्होंने
कहा कि इब्राहिम सुनने में ब्रह्मा जैसा
लगता है इब्राहिम की बीवी सारा सरस्वती
होंगी मोजेस महेश होंगे यानी शिव इनफैक्ट
इनके अकॉर्डिंग पूरी दुनिया पर राज किया
जाता था एक एसिएंट हिंदू एंपायर के द्वारा
तो ताजमहल के टॉपिक पर वापस आए तो ये पहली
बार पीएन ओक ही थे जिन्होंने ताजमहल के
ऊपर ये कंस्पिरेशन थ्योरी बनाई इनकी राय
में कोई भी मॉन्यूमेंट बनाया ही नहीं
मुगलों ने पहले तो पीएन होक का कहना था कि
ताजमहल एक एट हिंदुइज्म का एक वंडर है जो
बहुत पुराने जमाने में बना है लेकिन फिर
हिस्टोरियंस ने कहा कि फोर्थ सेंचुरी से
पहले की जो बिल्डिंग्स है इंडिया में अगर
वो रॉक कट है तो सरवाइव कर पाई हैं लेकिन
उसके अलावा कोई बिल्डिंग सरवाइव ही नहीं
कर पाई तो यह कैसे पॉसिबल हो सकता है
ताजमहल एक्चुअली में 1600 में ही बना है
यह सुनकर ओक ने अपने क्लेम को रिवाइज कर
लिया फिर उन्होंने कहा कि एक्चुअली में
इसे साल
1155 में बनाया गया था राजा परमारी देव के
द्वारा उन राजा देव के चीफ मिनिस्टर के
द्वारा जब खुद के घर का इतिहास हो तो 2
मिनट भी नहीं लगते उसे बदलने में अच्छा
फिर साल 1989 में इन्होंने एक और पैंफलेट
लिखा था जिसका टाइटल था ताज महल द ट्रू
स्टोरी अपने ही पैंफलेट के बेसिस पर
इन्होंने कोर्ट में एक पीआईएल फाइल करी
साल 2000 में ये कहते हुए कि अब हमें सच
जानना पड़ेगा क्या है इंटरेस्टिंग
इन्होंने कोर्ट में वो बात भी साइट करी थी
कि शाहजहां ने राजा जयसिंह की हवेली को
एक्वायर किया था तो एक लाइन इन्होंने
एक्चुअल हिस्ट्री से निकाली और बाकी की
हिस्ट्री इन्होंने अपने दिमाग से अपनी
इमेजिनेशन से क्रिएट कर दी सच बताऊं तो
पीएन ओक एक बहुत ही अच्छे सुपरहिट फिक्शन
राइटर बन सकते थे लेकिन पता नहीं क्यों वह
अपने आप को हमेशा एक सेल्फ प्रोक्लेम
हिस्टोरियन करके पुकारते थे सुप्रीम कोर्ट
ने भी उनकी पेटीशन को डिस्मिस किया था ये
कहते हुए कि वो मिसकंसीवड है और मजाक भी
उड़ाया था सुप्रीम कोर्ट ने उनका ये कहते
हुए कि कोई मधुमक्खी ने इन्हें काट लिया
ऐसा लगता है फिर आते हैं हम साल 2010 में
whatsapp-web
फॉरवर्ड होकर लोगों तक पहुंचती हैं लोग
यकीन कर बैठते हैं कि यह सच्ची कहानियां
है और फिर से कोर्ट में हमारे फ्रेश
पेटीशन जाती हैं हमारे कोर्ट्स का टाइम
वेस्ट होता है इन चीजों में इंटरेस्टिंग
चीज यह थी कि
whatsapp2
1155 की बात करी थी लेकिन जो अभी लेटेस्ट
पिटीशन थी कोर्ट में फाइल करी गई थी
उन्होंने कहा था कि इसे साल 1212 में
बनाया गया था याचिका में ताजमहल के इतिहास
को लेकर भी बात कही गई जिसके मुताबिक राजा
परम ी देव ने साल 1212 में तेजो महालय
मंदिर का निर्माण कराया लेकिन क्या फर्क
पड़ता है यही फर्जी थ्योरी आज के दिन टीवी
पर डिबेट्स का इतना बड़ा मुद्दा बन जाती
है और टीवी पर लोग डिबेट तो ऐसे करते हैं
कि जैसे मतलब यहां पर एक बहुत बड़ी
मिस्ट्री हो हमें सच अभी तक पता नहीं है
क्या है जबकि सारी सच्चाई बार-बार दोहराई
जा चुकी है एक और बहुत ही फेमस क्लेम
उठाया जाता है शाहजहां के बारे में कि
शाहजहां ने अपने मजदूरों के हाथ कटवा दिए
थे ताजमहल के बनने के बाद ताकि वो ताजमहल
जैसा कोई और मॉन्यूमेंट ना बना पाए हमारे
यूनियन एग्रीकल्चर मिनिस्टर नरेंद्र सिंह
तोमर ने भी इस क्लेम को पिछले साल रिपीट
किया था ये कहते हुए आगरा में ताजमहल का
निर्माण हुआ और जिन कारीगरों ने निर्माण
किया उनके हाथ काट दिए गए थे लेकिन
विश्वनाथ कॉरिडोर का निर्माण करने वाले
कारीगर और बेलदार का फूल बर्ष का स्वागत
करके एक नए आयाम को इस देश में नरेंद्र
मोदी जी के नेतृत्व में दिया गया इस क्लेम
के बारे में अगर आप थोड़ा लॉजिकली सोचने
की कोशिश करोगे तो आपके मन में भी सवाल
उठेगा कि ये पॉसिबल कैसे हो सकता था ये
20000 वर्कर्स जिन्होंने ताजमहल बनाया
क्या एक ही दिन में सबके हाथ एक साथ काट
दिए गए अगर नहीं तो क्या सबको एक-एक करके
बुलाया गया कि आओ नेक्स्ट बारी आपकी आपके
हाथ कट रहे हैं सबको लाइन में खड़ा किया
गया एक दिन में तो पॉसिबल हो नहीं सकता
200 हज लोगों के हाथ काटना तो तो भाई आ
जाओ थर्सडे है थर्सडे के दिन इन लोगों इन
मजदूरों के हाथ कटेंगे वो वो वो वाला
मजदूर उसकी बारी सैटरडे को आएगी उसके हाथ
हम सैटरडे को काटेंगे अगर ऐसे होता तो कोई
मजदूर क्या अपना लाइन में खड़ खड़े होकर
वेट करता कि मेरे हाथ कटने जा रहे हैं
सैटरडे तक मैं रुककर लाइन में खड़े होता
हूं जैसे ही हाथ कटने शुरू होते हैं यहां
पर वो तो भाग पड़ते अब ओबवियसली अगर
हिस्टॉरिकली देखा जाए तो इस चीज का जीरो
एविडेंस है कि ये चीज सच थी अगर ये चीज सच
होती तो आर्कलॉजिकल हमें स्केलेटन मिलते
हाथों के कहीं ना कहीं किसी ना किसी एक
किताब में तो इसका मेंशन किया जाता किसी
ना किसी कोर्ट हिस्टोरियंस के द्वारा तो
इसका मेंशन किया जाता कई ट्रैवलर्स आए थे
वहां पर उस जमाने में घूमने फॉरेन के वो
अपनी किताबें लिखते थे किसी ना किसी एक
किताब में तो कहीं ना कहीं तो कुछ मेंशन
होता लेकिन कुछ भी मेंशन नहीं है इनफैक्ट
एविडेंस जो है हमारे पास वो इसका बिल्कुल
उल्टा है शाहजहां ने एक बड़ी सेटलमेंट
बनाई थी ताजगंज करके जो कि आज के दिन तक
एजिस्ट करती है हजारों मेसन आर्टिजंस और
अलग-अलग मजदूर वहां पर असेंबल हुए थे
एंपायर के अलग-अलग हिस्सों से साथ में
मिलकर काम करने के लिए उन मजदूरों के जो
डिसेंडेंट्स हुए आने वाली पीढ़ियां हुई वो
वो भी आज के दिन तक उसी जगह पर काम करती
हैं और अपनी फोर फादर्स की स्किल को
प्रैक्टिस करती हैं एक्चुअली में हुआ क्या
था कि ताजमहल बनाने के बाद शाहजहां के
मजदूरों ने एक पूरा का पूरा नया इंपीरियल
शहर बनाया जिसका नाम था शाहजहानाबाद यानी
दिल्ली तो थोड़ा लॉजिकली सोच कर देखो
ताजमहल रेड फोर्ट जामा मस्जिद ये सब
अराउंड द सेम टाइम बने हैं अगर उन मजदूरों
के हाथ काट दिए जाते तो यह सब इतनी
बड़ी-बड़ी चीजें फिर से कैसे बना पाते
शाहजहां के पीरियड को एक्चुअली में माना
जाता है मुगल आर्किटेक्चर का गोल्डन
पीरियड और यह तभी पॉसिबल हो पाया जब
शाहजहां ने अपने मजदूरों को आदर दिया आज
के दिन बहुत से लोगों के लिए ताजमहल एक
सिंबल ऑफ लव है शकील जैसे पोएट्स ने इसके
बारे में लिखा है कहते हुए एक शहंशाह ने
बनवा के हंसी ताजमहल सारी दुनिया को
मोहब्बत की निशानी दी है दूसरी तरफ लेजेंड
पोएट्स जैसे कि सहीर लुधियानवी ने लिखा है
एक शहनशाह ने दौलत का सहारा लेकर हम
गरीबों की मोहब्बत का उड़ाया है मजाक बात
इनमें से कोई भी सच हो लेकिन आज के दिन यह
डिनायर कि ताजमहल एक आर्किटेक्चर मार्वल
है दुनिया का वन ऑफ दी ऑफिशियल सेवन
वंडर्स ऑफ वर्ल्ड है और एक यूनेस्को
वर्ल्ड हेरिटेज साइट है इंडिया की व द
मोस्ट पॉपुलर टूरिस्ट अट्रैक्शन जिसको
देखने के लिए दुनिया भर से लोग इंडिया आते
हैं इसमें ना प्राउड होने की कोई बात ही
नहीं है सही मायनों में यह एक इंडिया की
शान