The Mona Lisa Mystery | Why is it World's Most Famous Painting

यह दुनिया की सबसे प्रसिद्ध पेंटिंग क्यों है? Mona Lisa 

mona lisa painting

 21 अगस्त 1911 फ्रांस की राजधानी पेरिस में मंडे मॉर्निंग का समय था काफी चहल पहल थी लोग अपने ऑफिस में काम पर जा रहे थे कि तभी अचानक से लुव म्यूजियम से तीन आदमी बाहर निकलते हैं इन तीनों ने पिछली रात म्यूजियम के अंदर ही कटी थी और अब इनके हाथ में थी लुव म्यूजियम की एक अहम संपत्ति जिसको एक कंबल में छुपाकर भाग रहे थे ये पास के रेलवे स्टेशन पर जाकर सुबह की07:04 बजे की ट्रेन पकड़ते हैं और गायब हो जाते हैं पूरी दुनिया इस बात से अनजान थी कि इन्होंने अभी-अभी एक पेंटिंग की चोरी करी है और यह कोई छोटी-मोटी पेंटिंग नहीं है यह दुनिया की सबसे फेमस पेंटिंग है द मोना लिसा आज के दिन इस एक पेंटिंग की वैल्यू वन बिलियन डॉलर्स के करीब है आखिर क्या कारण है इसके पीछे क्या राज छुपे हैं इस
मोना लिसा के अंदर क्यों है यह दुनिया की
सबसे फेमस पेंटिंग आइए समझते हैं रहस्य
मोना लीसा का आज के इस वीडियो में मोना
लीसा वाज प्लेस इन द ल मयम इन पस इन 176
बट शीज अबाउट टू बिकम अ सेंसेशन द मोना
लीसा इज स्नैचड इ द वल्ड मोस्ट फेमस मजम
अन एंटर डे पासस बफ एवन नोटस द मास्टरपीस
[प्रशंसा]
मिस मोना लिसा की पेंटिंग को बनाया गया था
साल 1503 में एक इटालियन आर्टिस्ट
लियोनार्डो द विंची के द्वारा और यह भाई
साहब क्या कमाल के आदमी थे आप यकीन नहीं
करोगे क्योंकि ये सिर्फ एक पेंटर नहीं
बल्कि एक इंजीनियर साइंटिस्ट स्कल्पचर
आर्किटेक्ट और थिरि भी थे इन्हें इतने
सारे अलग-अलग सब्जेक्ट्स की नॉलेज थी चाहे
वह पेंटिंग हो कार्टोग्राफी हो
एस्ट्रोनॉमी हो एनाटॉमी हो बोटेनी हो
हाइड्रोलॉजी हो जियोलॉजी हो ऑप्टिक्स हो
या फिर पेलिन लॉजी भी क्यों ना हो इनकी
जिंदगी पर पूरा एक अलग से वीडियो बन सकता
है तो इनकी बात ज्यादा ना करते हुए मोना
लीसा पर आते हैं जो कि इनके द्वारा बनाई
गई सबसे फेमस पेंटिंग थी लेकिन ये पेंटिंग
थी किसकी पेंटिंग में दर्शाई गई औरत की
आइडेंटिटी को लेकर लोग हमें हमेशा से ही
क्यूरियस रहे हैं इसको लेकर सबसे पहला
खुलासा किया गया था जर्ज वसारी नाम के एक
इटालियन आर्टिस्ट के द्वारा जिन्होंने साल
1550 में लियोनार्डो दविंची की आत्मकथा
लिखी थी वसारी के अनुसार ये औरत थी लीजा
गिरार्दिन इनकी शादी फ्लोरेंस शहर में
रहने वाले एक सिल्क ट्रेडर के साथ हुई थी
फ्रांसिस्को गयो कोंडो उनका कहना था कि
फ्रांसिस्को ने पेंटिंग अपनी बीवी के लिए
कमीशन करवाई थी और यहीं से ही इस पेंटिंग
के दो नाम निकलते हैं पहला नाम जो हम सब
जानते हैं मोना लीसा ये आता है मडोना लीसा
से ट्रेडिशनल इटालियन भाषा में मैडम शब्द
के लिए मडोना शब्द इस्तेमाल किया जाता है
तो मडोना लीसा का मतलब हुआ मैडम लीसा और
मेडोना का यहां शॉर्ट फॉर्म बना दिया गया
मोना मोना विद अ डबल एन और इसी चीज को
इंग्लिश में लिखते हुए एक एन ड्रॉप कर
दिया गया और यह मोना बन गया सिर्फ मोना तो
मोना लीसा का आज के दिन भी मतलब है मैडम
लीज या लेडी लीज और फिर आता है मोना लीसा
का दूसरा नाम जो कि है ला जो कोंडा अपनी
शादी के बाद लीजा गेरार्डी नहीं बन गई थी
लीजा जो जो कोंडो और एक इंटरेस्टिंग चीज
यहां पर इटालियन में जो कोंडो का मतलब
लाइट हार्टेड या ियर फुल भी होता है मतलब
हसमुख और आज के दिन मोनालिसा अपनी मुस्कान
के लिए भी काफी मशहूर है तो यहीं से ही
इसका नाम आ गया ला जो कोंडो फ्रेंच में इस
जो कोंडो शब्द को जे से करके लिखा जाता है
कुछ इस तरीके से जो कोंडो तो यही कारण है
कि अगर आप कभी पेरिस में लब्रो म्यूजियम
में जाकर मोना लीसा की पेंटिंग देखेंगे तो
फ्रेंच में वहां लिखा होगा ला जो कोंडो अब
दिलचस्प बात यह है कि साल 1550 में ये
खुलासा होने के बावजूद लोग मानने को तैयार
नहीं थे कि वसारी ने जो बताया वो सही था
कई थ्योरी सामने आने लगी कि एक्चुअली में
औरत कोई और है कुछ लोगों ने कहा कि ये
लियोनार्डो दविंची की मम्मी थी कुछ ने कहा
कि ये इटालियन
एरिस्टोटल जेदार थ्योरी तो यह आई कि इस
पेंटिंग में दावें ने खुद को दर्शाया है
ये पेंटिंग किसी औरत की नहीं है बल्कि ये
पेंटिंग दावें च की खुद की पेंटिंग है और
उन्होंने इमेजिन किया है कि वो खुद कैसे
दिखते अगर वो एक औरत होते तो इस थ्योरी को
आर्टिस्ट लिलियन श्वार्ट्ज ने साल 1987
में एक आर्टिकल में बढ़ावा दिया उन्होंने
डिजिटल टूल्स का इस्तेमाल करके सिमिलरिटीज
दिखाने की कोशिश करी लियोनार्डो दविंची की
खुद की शक्ल में और मोना लीसा की शक्ल में
वैसे देखो इस लॉजिक से तो किन्हीं भी दो
चेहरों को एक के ऊपर एक रखकर उनमें
सिमिलरिटीज दिखाई जा सकती है लेकिन आज हम
काफी
सर्टेनटीज में जो औरत दिखाई गई है वह लीजा
ज कोंडो ही है फ्लोरेंस में रहने वाले एक
प्रोफेसर ने 25 साल तक इस चीज पर रिसर्च
करी थी और आर्काइव्स ढूंढ के निकाले और
साल 2004 चार में उनको इस चीज का क्लियर
एविडेंस मिला इस बात को साबित करने के लिए
इन्होंने यह भी पाया कि दविंची के परिवार
का एक काफी करीबी रिश्ता था फ्रांसिस्को
जो कोंडो के परिवार से साथ ही साथ इन्हें
इसका भी रिकॉर्ड मिला कि लीजा की शादी 5थ
मार्च 1495 में रजिस्टर हुई थी जब लीजा की
उम्र 16 साल थी और फ्रांसिस्को की खुद की
उम्र करीब 30 साल थी इन्होंने यह पाया कि
लियोनार्डो दविंची के पिता और लीजा के
हस्बैंड एक दूसरे को बहुत अच्छे से जानते
थे और ऐसा हो सकता है कि इस पेंटिंग को
कमीशन कराने का काम लीजा के हस्बैंड के
द्वारा नहीं बल्कि लियोनार्डो के पिता के
द्वारा किया गया पंटी का कहना है कि जब
मोना लीसा की ये पेंटिंग बनाई गई थी तब
लीसा की उम्र 24 साल थी और इस पेंटिंग को
बनाने के पीछे दो कारण बताए जाते हैं पहला
साल 1503 में जब फ्रांसिस्को और लीजा ने
अपना खुद का घर खरीदा या फिर दूसरा दिसंबर
15502 में जब उनका दूसरा बेटा पैदा हुआ ये
दूसरा रीजन ज्यादा प्रोबेबल लगता है
क्योंकि इससे 3 साल पहले 1499 में लीजा ने
अपनी बेटी को खोया था अब इस पेंटिंग को
गौर से देखोगे तो आपको दिखेगा कि लीजा के
बालों में एक पर्दा सा चढ़ा हुआ है इसे कई
लोग मॉर्निंग वेल करके पुकारते हैं यानी
कि एक ऐसा पर्दा जो तब चढ़ाया जाता है जब
परिवार में किसी की डेथ हो गई हो अब एक
सवाल यहां पर यह भी उठता है कि अगर दविंची
इटालियन थे मोनालीसा इटालियन थी तो ये
पेंटिंग आज फ्रांस में क्या कर रही है
इसको लेकर बात कुछ ऐसी है कि साल 1516 में
फ्रांस के राजा फ्रांसिस वन लियोनार्डो
दविंची को इनवाइट करते हैं कि वह फ्रांस
में आकर रहने लगे और इसी के चलते दविंची
इटली से फ्रांस शिफ्ट हो जाते हैं और और
अपने साथ मोना लीसा कीय पेंटिंग भी लेकर
जाते हैं हिस्टोरिकल रिकॉर्ड्स इस चीज पर
क्लियर नहीं है लेकिन कहा जाता है कि
दावें ने अभी तक भी इस पेंटिंग को कंप्लीट
नहीं किया था पेंटिंग शुरू करने के 15 साल
बाद भी वो इस पेंटिंग पर अभी भी काम किए
जा रहे थे इसे और मॉडिफाई करके और अच्छा
बनाने की कोशिश कर रहे थे इसी बीच साल
1519 में राजा के महल में रहते हुए
लियोनार्डो दा विंसी का देहांत भी हो जाता
है और यह पेंटिंग राजा अपनी रॉयल कलेक्शन
के लिए रख लेते हैं अपने पास इसके करीब
150 साल बाद जाकर साल 1797 में जब फ्रेंच
रेवोल्यूशन होती है तो इस पेंटिंग को राजा
के महल से बाहर निकालकर लुबू म्यूजियम में
रख दिया जाता है वैसे फ्रेंच रेवोल्यूशन
पर मैंने एक अलग से वीडियो बनाया आपने
नहीं देखा हो तो इसका लिंक डिस्क्रिप्शन
में है अब इंटरेस्टिंग चीज यह है कि इसी
कारण की वजह से मोना लीसा चुराई जाती है
साल 1911 में जिसकी बात मैंने वीडियो के
शुरू में करी थी इस चोरी के मास्टर माइंड
थे विंसेंस पेरूगिया जिन्होंने अपने दो
दोस्तों के साथ मिलकर यह पेंटिंग चुराई थी
और ये एक इटालियन नेशनलिस्ट थे इनका मानना
था कि ये पेंटिंग इटली के पास होनी चाहिए
फ्रांस के पास नहीं इसलिए इसे चुराकर इटली
में लेकर जाते हैं अब इतनी फेमस पेंटिंग
को चुराना बड़ा रिस्क का काम है स्पेशली
जब इस पेंटिंग की कीमत मिलियंस ऑफ डॉलर्स
में हो तो जाहिर सी बात है विंचेज इस चोरी
के बाद बिल्कुल भी सेफ फील नहीं कर रहा
होगा हैं लेकिन इससे पहले इस पेंटिंग की
खासियत जानते हैं आखिर क्यों ये इतनी
स्पेशल है सबसे पहली चीज तो यह है कि मोना
लीसा को किसी पेपर पर कैनवस पर या कपड़े
पर नहीं बनाया गया बल्कि इसे पेंट किया
गया है एक पोपल की लकड़ी पर उस जमाने में
ये इटालियन पेंटर्स की फेवरेट लकड़ी हुआ
करती थी दूसरी चीज यह पेंटिंग साइज में
कोई ज्यादा बड़ी पेंटिंग नहीं है वैसे ये
फोटोज देखो आप म्यूजियम में जहां रखी हुई
है इंसानों के कंपैरिजन में इसका साइज देख
सकते हो ये सिर्फ 77 सेमी बा 53 सेमी की
पेंटिंग है लेकिन फिर भी इसे इतना खास
माना जाता है क्योंकि इटली में अपने जमाने
में ये सबसे पहली ऐसी पेंटिंग थी जो एक
इंसान पे इतने क्लोजल फोकस कर रही हो ये
एक हाफ लेंथ पोर्ट्रेट है आज के दिन इस
तरीके के शॉर्ट्स फोटोग्राफी में बड़े
कॉमन होते हैं लेकिन उस टाइम कोई इस तरीके
की पेंटिंग्स नहीं बनाता था ओवरऑल इस
पेंटिंग की कलर ग्रेडिंग देखोगे तो काफी
सारे ब्राउन और येलो कलर के शेड्स दिखेंगे
काफी डल सी पेंटिंग लगती है ये इतनी लोइश
है कि एक टाइम पर एक प्रोफेसर ने तो लीजा
को एक कोलेस्ट्रॉल का पेशेंट डिक्लेयर कर
दिया था लेकिन इसके पीछे दो कारण है पहला
यह कि इस पेंटिंग के ऊपर एक वार्निश की
लेयर लगाई गई है ताकि मॉइश्चर इस पेंटिंग
पर एक बुरा असर ना डाले क्योंकि आखिरकार
ये लकड़ी पर बनाई गई पेंटिंग है तो
ह्यूमिडिटी और मॉइश्चर से इसे बचाना काफी
जरूरी है और दूसरा यह कि ओवर टाइम इसमें
ब्लीचिंग देखने को मिली है ओरिजनली जब यह
पेंटिंग बनी थी तो और ज्यादा ब्राइट और
कलरफुल हुआ करती थी कुछ लोगों ने इसे
रीक्रिएट करने की कोशिश करी कि ओरिजनली ये
पेंटिंग कैसी दिखती होगी दविंची ने इस
पेंटिंग में एक बड़े ही खास पेंटिंग
स्टाइल का इस्तेमाल किया है जिसे स्फू
माटो कहा जाता है द टेक्नीक ऑफ ब्लेंडिंग
जो बैकग्राउंड देख रहे हो आप इस पेंटिंग
में एक लैंडस्केप दिख रहा है इटली की
आर्नो वैली है वो उस बैकग्राउंड में और
मोना लिसा में कोई क्लियर बाउंड्रीज नहीं
है आउटलाइंस बनाई गई कुछ जगहों पे मोना
लिसा के बाल लैंडस्केप में झलक रहे हैं
आउटलाइंस को ब्लर करना और कलर्स की
ब्लेंडिंग करना यही स्माटो की टेक्नीक है
और यही राज है मोना लीसा की मिस्टीरियस
स्माइल के पीछे ध्यान से देखिए मोना लीसा
की मुस्कान को जितना आप इस मुस्कान की तरफ
देखेंगे उतना ही यह चेहरा ज्यादा सीरियस
दिखने लगेगा आपको लेकिन अब मोनालिसा की
आंखों में देखिए अचानक से आप देखेंगे कि
कैसे लीजा ज्यादा मुस्कुरा रही है अब
पेंटिंग के आप किसी भी और हिस्से में
देखेंगे चाहे वो बैकग्राउंड हो या फिर ना
लीसा का फोरहेड हो या आंखें हो आपको
इफेक्ट दिखाई देगा लीजा का चेहरा ज्यादा
मुस्कुराने लग जाता है जब आप मुस्कान पर
फोकस नहीं करते हैं इसी मुस्कान को बनाने
के लिए दविंची ने सबसे ज्यादा समय लगाया
था उन्होंने कई रातें फ्लोरेंस के एक
हॉस्पिटल में भी बिताई जहां पर व डेड
बॉडीज की जाकर खाल उतारा करते थे वो स्टडी
करना चाहते थे कि चेहरे के अंदर जो मसल्स
और नर्व्स हैं कैसे उनसे स्माइल आती है
कैसे मुस्कान आती है उन्होंने अपनी एक
किताब में लिखा था द मसल्स वि व्हिच मूव द
लिप्स आर मोर न्यूमरस इन मैन देन इन एनी
अदर एनिमल होटों की मसल्स को डाक्टर
एक्चुअली में उनके लिए बहुत मुश्किल हुआ
था क्योंकि यहां पर जो मसल्स हैं वो बहुत
ही छोटी हैं और बहुत ज्यादा है इसी
एक्सपेरिमेंट के दौरान दविंची ने घोड़ों
को भी स्टडी कर डाला उन्होंने इंसानों के
एक्सप्रेशंस को घोड़ों के चेहरों से
कंपेयर किया नोट्स में वो लिखते हैं नोटिस
वेदर द मसल्स दैट रेज द नॉस्ट्रिल्स ऑफ द
हॉर्स इज सेम एज दैट व्हिच लाइज हियर इन
मैन शायद ही इतिहास में किसी और आर्टिस्ट
ने एक घोड़े और इंसान की शक्ल को डाक्टर
के ये एक्सपेरिमेंट्स करे होंगे मोनाली की
मुस्कान को लेकर उनका ये ऑब्सेशन यहां पर
खत्म नहीं हुआ इसके बाद इन्होंने ऑप्टिक्स
पर भी रिसर्च कर डाली इन्होंने पाया कि जो
लाइट रेज होती है वो हमारी आंखों में एक
सिंगल पॉइंट पर आकर मिलती नहीं है बल्कि
पूरे रेटिना पर लगती है रेटिना के बीच का
जो हिस्सा है जिसे फोबिया कहा जाता है वो
हमें बारीक से बारीक डिटेल्स देखने में
मदद करता है वहीं दूसरी तरफ रेटीना का जो
बाकी का हिस्सा है वो शैडोज और ब्लैक एंड
वाइट चीजों को ज्यादा पिक अप करता है इस
नॉलेज का इस्तेमाल करके उन्होंने शैडोज पर
इस तरीके से ध्यान दिया ताकि जब आप अपने
पेरिफेरल विजन से भी लीसा को देखें मतलब
आप यहां देख रहे हो और मोना लीसा वहां पर
हो आपका ध्यान मोना लीसा पर ना भी हो तब
भी उसकी मुस्कान का असर आप पर आ जाता है
जब आप मुस्कान को करीब से देखोगे तो आपको
दिखेगा कि उसकी सेंट्रल लाइन एक फ्लैट
लाइन यही कारण है कि जब आप मुस्कान की तरफ
देखते हो तो ऐसा लगता है कि वो एक्चुअली
में मुस्कुरा ही नहीं रही है लेकिन दूसरी
तरफ स्माटो टेक्निक के जरिए जो शैडोज बनाई
गई है उनके जरिए एक ऐसा इफेक्ट पड़ता है
कि जब आप कहीं भी और देखते हो तो आपके
पेरिफेरल विजन में वो मुस्कान आती है और
उसकी शैडोज झलकती हैं और तब आपको लगता है
कि लीजा मुस्कुरा रही है अब कैसा लगेगा
सुनकर अगर मैं आपसे कहूं कि मोना लीसा की
एक पेंटिंग नहीं बल्कि दो पेंटिंग्स है ये
कोई कंस्पिरेशन थ्योरी नहीं है बल्कि ये
बात सच है मोना लीसा की पेंटिंग जिसे हम
सब जानते हैं उससे ही मिलती-जुलती एक और
पेंटिंग बनाई गई थी उसी टाइम में इस दूसरी
मोनालिसा की कहानी शुरू होती है साल 1504
में जब रफेल नाम के एक और लेजेंड आर्टिस्ट
ने पेन और इक के जरिए एक रफ स्केच बनाया
था ये स्केच कुछ ऐसा दिखता था और इसे लव
की मोना लीसा से कंपेयर करो तो एक बहुत
बड़ा डिफरेंस दिखता है रफेल के स्केच में
दो कॉलम्स दिखाई देते हैं मोना लिसा के
पीछे यहां रिसर्चस को लगा कि रफेल ने अपनी
ड्राइंग एक्चुअल मोना लिसा की पेंटिंग को
देखकर ही बनाई होगी तो इसमें कोई बड़ी चीज
नहीं है लेकिन इस थ्योरी को साल 1993 में
एक जर्मन आर्ट हिस्टोरियन ने डिस्प्रूव
किया और प्रोफेसर पलाठी जिनकी बात मैंने
पहले भी करी थी जो 25 सालों तक रिसर्च कर
रहे थे मोनालिसा की आइडेंटिटी पर उन्होंने
कंफर्म किया कि रफेल एक्चुअली में
फ्लोरेंस शहर में कुछ समय के लिए जो कोंडो
परिवार के घर के एकदम सामने ही रहते थे तो
क्या इसका मतलब यह हुआ कि रफेल ने अपनी
खुद की पेंटिंग बनाई सेम सब्जेक्ट के साथ
सेम औरत को सेम पोज में बिठाकर ये काफी
अनबिलीवर्स
मोना लीसा की पेंटिंग एजिस्ट करती है जिसे
देखकर रफेल ने अपनी ड्राइंग बनाई और ये
दूसरी मोना लीसा की पेंटिंग दुनिया के
सामने आती है साल 1914 में लंदन के पास
रहने वाले एक नोवलिस्ट जॉन आर आयर के पास
एक मोना लीसा का नया वर्जन था यह है वो नई
मोना लीसा की पेंटिंग वही पेंटिंग जिसके
बेसिस पर रफेल ने अपनी ड्राइंग बनाई ये
दूसरी मोना लिसा लुव में रखी मोना लिसा से
32 फीट ऊंची है और 5 फीट चौड़ी है और इन
दोनों पेंटिंग्स को अगर आप कंपेयर करोगे
तो तीन चीजें सामने आती हैं पहला इस नई
मोनालिसा में जो औरत है वो ज्यादा यंग लग
रही है दूसरा इस नई पेंटिंग में जो सिर है
वो थोड़ा सा आगे की तरफ टिल्ट है और तीसरा
इस नई मोना लीसा की जो एक्सप्रेशंस है वो
बहुत ही स्ट्रेट फॉरवर्ड और क्लियर है
इसकी मुस्कान में वो मिस्टीरियस बात नहीं
है जो लुव की मोनालिसा के बारे में है और
बैकग्राउंड में जो दो कॉलम्स दिखाई देते
हैं वही रफेल की ड्राइंग में भी दिखाई दे
रहे थे इन्हीं सब कारणों को देखकर
एक्सपर्ट्स के द्वारा एक नई थ्योरी बताई
जाती है कि लियोनार्डो दविंची एक्चुअली
में दो मोना लिसास पर काम कर रहे थे ये
दोनों ही मोना लिसास एक्चुअली में
लियोनार्डो दविंची ने ही बनाई थी लेकिन ये
आयल वर्थ वाली जो मोना लिसा बाद में पाई
गई ये पहला वर्जन था दविंची की पेंटिंग का
तब वो अपने स्टाइल से एक्सपेरिमेंट कर रहे
थे और यही कारण है कि उस पेंटिंग में जो
मोनालिसा दिखती है उसकी एज काफी यंग लगती
है दूसरी मोनालिसा के कंपैरिजन में यह एक
ऐसी थ्योरी है जो आज के दिन तक डिबेट का
मुद्दा है साल 2010 में मोनालिसा फाउंडेशन
ने आयल वर्थ वाली मोना लिसा पर एक
इन्वेस्टिगेशन शुरू करी उसके पीछे राज पता
लगाने के लिए और इन्होंने अपनी एक दूसरी
थ्योरी बनाई इन्होंने कहा कि इस नई मोना
लिसा का जो चेहरा है और जो हाथ है वह
दविंची ने खुद बनाए हैं लेकिन जो
बैकग्राउंड है उसे किसी इनफीरियर आर्टिस्ट
ने बनाया है हो सकता है लियोनार्डो की
वर्कशॉप में काम करने वाला कोई बंदा हो
जिसने इस पेंटिंग को पूरा कर करने का काम
खत्म किया हो ये दोनों ही थ्योरी आज के
दिन तक सिर्फ थ्योरी हैं क्योंकि ठोस सबूत
किसी भी साइड को लेकर नहीं मिले हैं हम
मोना लीसा की चोरी पर वापस आए तो पता चलता
है कि इस चोरी के मास्टरमाइंड विंचेज
पेजिया एक्चुअली में एक एंप्लॉई थे
लुब्रिजाल हैं जिसके बाद सुबह वह चोरी कर
कर निकलते हैं पेंटिंग को इनका मानना था
कि लियोनार्डो दविंची क्योंकि इटालियन थे
तो इस पेंटिंग को एक इटालियन म्यूजियम में
होना चाहिए जैसे ही ये चोरी की खबर फैलती
है दुनिया भर में हेडलाइंस छप जाती हैं ों
डिटेक्टिव्स इस काम पर लग जाते हैं कि
किसने चोरी करी उसे ढूंढ कर निकालो लेकिन
कोई ढूंढकर नहीं निकाल पाता 2 साल तक
पेरूज या इस पेंटिंग को अपने पास घर पर
छुपा कर रखते हैं वह सोचते हैं कि क्या
किया जाए इसके साथ पूरी दुनिया इसकी खोज
में लगी है फाइनली वो इंपेशेंट होकर इस
पेंटिंग को बेचने की कोशिश करते हैं
फ्लोरेंस शहर में रहने वाले एक आर्ट डीलर
को पेंटिंग बेचने की कोशिश करी जाती है
जियोवानी पोगी जियोवानी सस्पिशंस पेंटिंग
पे पीछे लगी स्टैंप को देखकर कंफर्म करते
हैं कि यही चोरी की गई पेंटिंग है इन्हें
दुनिया का मोस्ट वांटेड सामान बेचा जा रहा
है इसी के चलते विंचेज पकड़े जाते हैं और
उन्हें 6 महीने की सजा होती है पेंटिंग को
दोबारा से लब्रो म्यूजियम में लाकर रख
दिया जाता है 4थ जनवरी साल 1914 में आज के
दिन यह पेंटिंग यहीं रखी है एक बुलेट
प्रूफ ग्लास के पीछे स्ट्रिक्ट क्लाइमेट
कंट्रोल्ड कंडीशंस में जहां ह्यूमिडिटी
बरकरार रखी गई है 50 पर प्लस माइनस 10 पर
टेंपरेचर स्ट्रिक्टली मेंटेन किया गया है
18 से 21 डिग्री सेल्सियस इस पूरी कहानी
में शायद सबसे इंटरेस्टिंग बात यह है कि
इस चोरी के बाद ही मोना लीसा की पॉपुलर
बढ़ने लगती है और यह दुनिया की नंबर वन
फेमस पेंटिंग बन जाती है सही सुना आपने
चोरी से पहले मोनालिसा इतनी फेमस पेंटिंग
नहीं थी जिन लोगों को आर्ट में दिलचस्पी
होती थी वोह मोना लिसा के बारे में जानते
थे लेकिन आम जनता को पता नहीं था कि मोना
लीसा क्या है तो आज के दिन अगर आप कभी लोव
म्यूजियम में जाकर मोना लीसा की पेंटिंग
देख देखते हो और चारों तरफ भीड़ ही भीड़
दिखाई देती है तो इस पॉपुलर के लिए ब्लेम
जाता है सिर्फ और सिर्फ विंचेज पर यह
वीडियो पसंद आया तो कोहिनूर वाला वीडियो
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देख सकते हैं जहां मैंने समझाई है कोहिनूर
की मिस्ट्री बहुत-बहुत धन्यवाद

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